हमारा
देश युवा शक्ति के रूप मे दुनिया भर मे पहचाना जा रहा है, पर देश मे युवा
फिर भी बदनाम है! किसी के लिए हम बिगड़े हुए है तो किसी के लिए राह से भटके
और किसी के लिए अपनी सभ्यता को भूलते जा रहे नालायक!!! पर हर पीड़ी के
युवा के सर शायद यह इल्ज़ाम लगता ही है, भगत सिंह क समय उस पीड़ी को भी
इन्ही इल्जामो का सामना करना पड़ा था, पर सच तो यह है की युवा पीड़ी
परिवर्तन के साथ आती है कही "लेनिन" तो कही "भगत सिंह" के रूप मे और आज
"अन्ना क्रांति" के रूप मे! यह समय से चली आ रही बेकार की परम्पराओं को
बिना तर्क के नहीं मानता, यह सवाल करता है कुछ भी अपनाने से पहले, न की इस
लिए कुछ भी मान लेता है क्योंकि उस से पहले की पीड़ी उन बातो को मान रही
होती है, और शायद यही वजह है की इस युवा पीड़ी को इतनी बातें सुननी पड़ती
है! (युवा उम्र से नहीं सोच से बना जाता है) यह पीड़ी अपने हको के लिए
लड़ने को तैयार रहती है, वह सब कुछ करने को तैयार रहती है जो अभी तक किसी ने
ना किया हो!! जो कहते है की आज का भारतीय युवा गैर जिम्मेदार या अपनी
संस्कृति को भूलता जा रहा है वह ज़रा गौर करे की राष्ट्रमंडल खेलो की सफलता
मैं युवा पीड़ी ने ही सारी व्यवस्था संभाली और बदनाम कराया पुरानी या कहूँ
बुजुर्ग पीड़ी ने! इस तरह यह तो साफ़ है की युवा पीड़ी देश के लिए बिना
स्वार्थ के चलने को तैयार है पर पीछे खीचते है अधेड़ उम्र के लोग!! मेरे
अनुसार युवाओ के सर इस तरह के इलज़ाम हर दौर मे लगते रहेंगे पर यह भी साफ़ है
की देश तरक्की करेगा तो इन्ही के सहारे!!!!
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