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Friday, December 9, 2011

सुन्हेरा भरष्टाचार

पिछले कुछ दिनों से भरष्टाचार के विरोध मे बहुत  सी बातें सुन और देख रहा हूँ , पर मेरे लिए समझना थोड़ा मुश्किल है की भरष्टाचार का इतना विरोध क्यों? आखिर  हिन्दुस्तान की पहचान बन चुका है भरष्टाचार, लोग कहते है की राष्ट्रमंडल खेलो मे घोटाले हुए, पर जरा सोचिए की घोटालो के लालच मे राष्ट्रमंडल खेल तो हुए! हम होते कौन है भरष्टाचार का विरोध करने वाले, रोजाना बस या ट्रेन मे बिना टिकेट के सफ़र करते है और इसको हम अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते है! क़ानून के साथ खिलवाड़ करने को अपनी समझदारी का सबूत मानते है, तो फिर इसका विरोध करने का ड्रामा क्यों? आइये स्वीकार करे की भरष्टाचार हमारे खून मे है!
                                                                                        जल्द ही सरकार को स्कूल व colleges मे  भरष्टाचार सम्बन्धी कोर्स शुरू करने चाहिए आखिर इस से ज्यादा  सुन्हेरा भविष्य और कहा है, कहाँ  आप २००० करोड़ की कमाई कर सकते है! इस मे मैनेजमेंट के गुण होने भी जरुरी है क्योंकि पुरे देश की आँखों पर पर्दा डाले रखना कोई आसन काम नही है! इस तरह के कोर्स मे कलमाड़ी या ए राजा जैसे लोगो की सेवाये भी ली जा सकती है, यह सिर्फ भरष्टाचार पढ़ाएँगे ही नही यह भी सिखायेंगे की पकड़े जाने पर जेल मे कैसे आराम की ज़िन्दगी जियें! सरकार भरष्टाचार की गुणवत्ता बनाई रखने के लिए नयी योजनाये भी शुरू करेगी जैसे "भारत भरष्टाचार विकास योजना" या "भरष्टाचार ग्रामीण विकास योजना"! ऐसे पर्यासो से नए और महान भ्रष्टाचारी भी अस्तित्व मे आएँगे जिनके लिए सरकारी पुरस्कार भी दिए जाएँगे जैसे भारत भरष्टाचार रतन ! इसके साथ साथ लोगो को संविधान के तहत भरष्टाचार का अधिकार भी मिलेगा जिसके लिए अन शन कलमाड़ी जैसे समाज सुघारक
करेंगे! 
                                                           इतना सब हो जाने के बाद आखिर मीडिया इस से पीछे क्यों रहेगी? नए प्रोग्राम्स चलाये जाएँगे जैसे currept master या कौन बनेगा भ्रष्टाचारी! आपका यह सोचना ठीक है की आखिर मै
भरष्टाचार की इतनी तारीफ़ क्यों कर रहा हूँ? क्योकि मै जनता हूँ की भरष्टाचार ना तो नारे लगाने से खत्म
होगा न ही लोकपाल से तो क्यों इसका विरोध करूँ! इसके लिए चाहिए इमानदारी जो मुझे फ़िलहाल कम ही दिखती है तो छोड़िये यह सब एक भरष्ट जीवन की और कदम बढ़ाते है!