सिनेमा के पहले दशक का अंत देवदास का जिक्र किये बिना नहीं किया जा सकता! इस दशक में शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय के नायब उपन्यास पर आधारित पी सी बरुआ के निर्देशन में देवदास हमारे सामने आई! यह न्यू थियेटर्स के बैनर तले सन 1936 में बनी! देवदास और पार्वती पार्वती के प्रेम पर आधारित यह फिल्म स्त्री की कशमकश को दिखाती है! परन्तु फिल्म का अंत परम्पराओं के पुराने पढ़ जाने और स्त्री की मुक्त आकान्शाओं की तरफ संकेत कर जाता है! कुंदनलाल सहगल वैसे तो विख्यात गायक के रूप में काफी प्रसिद्ध हैं पर देवदास जैसी चंद फिल्मों में काम करने से उन्हें एक असरदार अभिनेता भी मन जाता है ! इन्होने ही देवदास फिल्म में गाने भी गाये इनकी यह फिल्म आज भी मिसाल के रूप में याद की जाती है! और उस देवदास से आज के देव डी का सफ़र इसके महत्व को दर्शाने के लिए काफी है! देवदास पहले बंगाल में बनी थी! बरुआ निर्देशित उस बंगाली देवदास में बरुआ ही देवदास रहे थे! पर तब इसकी सफलता का शेत्र बांगला भाषी शेत्र तक ही सीमित था इसलिए इसे हिंदी में बनाने का ख्याल आया! हिंदी देवदास में बरुआ निर्देशन तक ही सीमित रहे और देवदास का किरदार सहगल ने निभाया! इस तरह सिनेमा के पहले दशक ने बहुत खूब शुरूवात की और आगे की राह साफ़ हुयी!