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Wednesday, August 29, 2012

अब लोकतंत्र में बदलाव आवश्यक है!

लोकतंत्र अर्थात जनता का शासन, पर पिछले कुछ समय से हिंदुस्तान में इसके मायने बदल गए है! सरकार  का लिखित आश्वासन के बाद मुकर जाना, शान्तिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करते लोगो पर लाठी चार्ज, संचार का सबसे सरल साधन बन चुके एस.एम.एस पर रोक, जब तब सोशल मीडिया पर सरकार के प्रति रोष जताने वालों पर कड़ी कार्यवाही, यह सब उदाहरण दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नहीं लगते! पर दुर्भाग्यपूर्ण रूप से यह सब हमने यह सब पिछले महीने होते देखा!
                                                     विपक्ष के मुख्य नेता अडवाणी जी द्वारा यह भविष्यवाणी की 2014 में देश का प्रधानमंत्री गैर कांग्रेसी तथा गैर भाजपायी होगा अपने आप में उपरोक्त सभी घटनाओं का एक निचोड़ पेश करती है जो संभवत: घटित हो भी सकता है! इस सम्भावना को टीम अन्ना का राजनीती में उतरना और समाजवादी पार्टी का उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन काफी बल देता है! यह बात जो एक विपक्ष का नेता आसानी से खुल कर सबके सामने बोल गया वह अभी तक सत्ता पक्ष समझने में नाकामयाब रही और उम्मीद है की 2014 में अपनी  नाकामयाबी के बाद यह सब बातें कांग्रेस विभिन्न आयग बना कर पता करेगी! और जो विपक्ष जीत से फुले नहीं समां रहा उसको यह समझने में परेशानी हो रही है की यह जीत उसे विकल्प के आभाव में  मिली है न की अपने किसी शानदार प्रदर्शन के कारण! किसी भी सत्ता पक्ष के लिए यह समझना जरुरी है की उसके हर छोटे बड़े  कृत्य से कोई न कोई  सन्देश जनता तक जरुर पहुँचता है जिसके आधार पर मतदान का फैसला मतदाता करता है! आज भारतीय मतदाता के समक्ष स्तिथि लोकतान्त्रिक होते हुए भी लोकतान्त्रिक नहीं है! मतदाता के सामने अपने मत योग्य उमीदवार उपलब्ध नहीं है, जनता को हर बार ज्यादा बयिमानो में  से कम बयिमानो को चुनने के लिए मजबूर होना पड़ता है! यही कारण है की हर बार के चुनाव के मतदान का प्रतिशत 50 या 60 प्रतिशत से ज्यादा नहीं पहुँच पाता! कितना हास्येपद लगता है की दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश कहलाने वाले भारत में आधी आबादी मतदान ही नहीं करती या कहें की आधी आबादी का विश्वास ही चुनाव प्रणाली से उठ चुका है और यह मुख्य पार्टियों द्वारा अपराधिक छवी वाले लोगो को समर्थन देने का नतीजा है! कलमाड़ी, ए राजा  या कोयला घोटाला यह बताने के लिए काफी है की हर कानून का तोड़ मौजूद है और ऐसा प्रतीत भी होने लगा है की लाल बत्ती वाले अपने कानून खुद बनाते है! लोग सड़कों पर उतर रहे है धरना प्रदर्शन कर रहे है! यह बताने का लिए काफी है की मौजोदा व्यवस्था से लोग नाखुश है! यह आज बहुत जरुरी हो गया है की भारतीय लोकतंत्र में कुछ सुधार  किये जायें ताकि लोकतंत्र सिर्फ नाम का लोकतंत्र न रह जाये, ताकि उन पर नकेल कसी जा सके जो कानून को तोड़ मरोड़  कर अपने सुविधा अनुसार इसका प्रयोग करते है, ताकि एक सरकारी नौकर नौकरी करे आराम की नौकरी नहीं , ताकि भरष्टाचार के वर्ल्ड रिकॉर्ड में भारत का नाम आना बंद हो और आम आदमी अपने मत के लिए  एक सही उमीदवार पा सके और लोकतंत्र सच्चा लोकतंत्र बन सके!      

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