Total Pageviews

Saturday, February 4, 2012

लालू सही कहिन!

मेरी अधिक्तर भावनाओ को यह कार्टून ही स्पष्ट कर देता है, जी हाँ मै जिक्र कर रहा हूँ हमारे मनोरंजन से भरपूर सांसद लालू जी का और लोकपाल के सम्बन्ध मे दिए गए उनके भाषण का! खैर इस सम्बन्ध मे बाद में बात करते हैं पर यह तो हमे मानना ही होगा की अगर शीतकालीन सत्र मे लालू जी मौजूद न होते तो यह सत्र काफी बोरियत भरा रहता! पर शुक्र है की लालू सभी सांसदों के मनोरंजन के लिए वह मौजूद थे, और सांसदों ने इतनी शांति से लोकपाल के विषय मे भी बातें नही की, जितनी शांति से लालू का भाषण सुना! लालू जी की बातों मे सच्चाई भी इतनी ही थी इसी कारण लालू जी की बातों को सभी ने सुना भी! लालू जी का लोकपाल ड्राफ्ट के बारे मे कहना था की "यह मौत का वार्रेंट है और इसको बिलकुल पास मत करना, भले ही चुनाव हार जाना पर इस मौत के वार्रेंट को पास मत करना"- देखिये इन दो पंक्तियों मे कितनी सच्चाई है! लालू जी जानते है की यहाँ यह बिल पास हुआ और वहाँ इनकी जेल यात्रा की टिकेट कटी, अरे लालू जी क्या संसद मे बैठा हर चोर यह जनता है, पर साफ़ तौर पर कहा सिर्फ लालू ने! अगर हमारे देश को तरक्की चाहिए तो ऐसे ही सच  बोलने वाले नेता लोगो की जरुरत है, आखिर किस देश की संसद मे इतना सच बोला जाता है?
                                                                                 मै उनके भाषण की कुछ और बातों को साफ़ करना चाहता हूँ जो वह करना भूल गए थे! उन्होंने अपने भाषण मे कहा की हम 1948 मे आये और 1947 मे अंग्रेज भाग गए, बिलकुल ठीक कहा इन्होने पर लालू जी का यह "दूर भगाओ का सिधान्त" और भी कई बातों पर लागू होता है! वह बिहार की सत्ता मे आये तो बिहार की तरक्की भाग गयी, शीतकालीन सत्र मे संसद आये तो संसद पर से जनता का विशवास भाग गया और कही गलती से प्रधानमंत्री बन जाते तो कोई बड़ी बात नहीं थी की लोकतंत्र भी भाग जाता, तो अंग्रेज़ किस खेत की मूली थे! उनकी और बातें तो मुझे याद नहीं आ रही पर इन सब बातों के बाद कह सकता हूँ की अगर ऐसे कुछ और नेता हमारे देश को मिल जाएँ तो देश का कल्याण होना सुनिषित ही है!

No comments: